बचा रहे सुबह का सुकून
शाम की उदासी
रातों की नींद
शाम की उदासी
रातों की नींद
नींद में मुलायम सपने
होंठों पे मुस्कान
आँखों में ज़रा-सी नमी
और हवा में प्रेम
युद्ध और आतंक से गंधाती
इस दुनिया में
बचा रहे कोई तो एक कोना
जहाँ दो पल साँस ले सकें
प्यार करने वाले लोग।
- ध्रुव गुप्त।
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विजया सती के सौजन्य से
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