बुधवार, 29 नवंबर 2023

बचा रहे

बचा रहे सुबह का सुकून
शाम की उदासी
रातों की नींद

नींद में मुलायम सपने
होंठों पे मुस्कान
आँखों में ज़रा-सी नमी
और हवा में प्रेम 

युद्ध और आतंक से गंधाती
इस दुनिया में
बचा रहे कोई तो एक कोना
जहाँ दो पल साँस ले सकें
प्यार करने वाले लोग।

- ध्रुव गुप्त।
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विजया सती के सौजन्य से 

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