पुल कोई भी हो
कितना भी मज़बूत हो
उसकी एक मियाद होती है
उसे भी एक दिन टूटना ही होता है
लेकिन कोई भी पुल
जब भी टूटे;
दूसरा पुल और ऊँचा
बन सकता है,
जैसे नदियों पर बना कोई पुल
जब भी टूटता है,
पुराने पुल के बगल
दूसरा पुल हमेशा
और ऊँचा बनता है
- संदीप तिवारी।
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विजया सती के सौजन्य से
सुन्दर अभिव्यक्ति
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