शनिवार, 18 नवंबर 2023

तलब

मैं चाय पीने के लिए
दुकान पर नहीं गया
दुकान पर गया
क्योंकि थोड़ी देर दुकान पर बैठने का मन था

दुकान पर आते-जाते लोगों को देखना था
उनकी बातें सुननी थी
और मुझे चुप रहना था

चाय को उबलते हुए
और उसे कुल्हड़ में छनते हुए देखना था
मुझे थोड़ी देर के लिए
अपने घर, कुर्सी, दरवाज़े को भूलना था
अपने कामों को भूलना था
और खुद को भूलना था

इसलिए गया चाय की दुकान पर
मुझे चाय की तलब कभी नहीं लगती
हाँ घर से निकलने की तलब लगती है

- संदीप तिवारी।
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विजया सती के सौजन्य से 

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