बुधवार, 22 नवंबर 2023
शहर
मैंने शहर को देखा और मैं मुस्कराया
वहाँ कोई कैसे रह सकता है
यह जानने मैं गया
और वापस न आया।
- मंगलेश डबराल।
3 टिप्पणियां:
अनूप भार्गव
22 नवंबर 2023 को 10:10 am बजे
अद्भुत कविता है। गागर में सागर भरती हुई।
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Saras
23 नवंबर 2023 को 10:28 am बजे
अद्भुत....!
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Pankhuri
23 नवंबर 2023 को 11:55 am बजे
लाज़वाब
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चेतना पारीक कैसी हो? पहले जैसी हो? कुछ-कुछ ख़ुश कुछ-कुछ उदास कभी देखती तारे कभी देखती घास चेतना पारीक, कैसी दिखती हो? अब भी कविता लिखती हो? ...
अद्भुत कविता है। गागर में सागर भरती हुई।
जवाब देंहटाएंअद्भुत....!
जवाब देंहटाएंलाज़वाब
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