पिता कथित ईश्वर नहीं
जो दिखाई ही नहीं देता
पिता आकाश भी नहीं है
जो कुछ उगाता नहीं
जो दिखाई ही नहीं देता
पिता आकाश भी नहीं है
जो कुछ उगाता नहीं
पिता एक पेड़ होता है
जो बीज से पौधा बना है
पिता होना एक यात्रा है
अनुभव भी है
पिता पेड़ बन रहे बीज को थपकी देता है
धौल और छाँव भी देता है
ठूँठ होने से पहले ज़मीन तैयार करता है
यात्री भी बनाता है
पिता बीज़ों के लिए खाद है
बीज भी है
जो उगता भी है
पिता कथित ईश्वर नहीं
जो दिखाई ही नहीं देता
- मनोहर चमोली मनु।
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विजया सती के सौजन्य से
आभार !
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही. ...
जवाब देंहटाएंji shukriya
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