एक बौनी बूँद ने
मेहराब से लटक
अपना कद
लंबा करना चाहा
बाकी बूँदें भी
देखा-देखी
लंबा होने की
होड़ में
धक्का-मुक्की
लगा लटकीं
क्षण भर के लिए
लंबी हुई
फिर गिरीं
और आ मिलीं
अन्य बूँदों में
पानी पानी होती हुई
नादानी पर अपनी।
- दिव्या माथुर
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हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद
वाह! बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
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