बुधवार, 21 अगस्त 2024

शोर

मेरे भीतर इतना शोर है
कि मुझे अपना बाहर बोलना
तक अपराध लगता है
जबकि बाहर ऐसी स्थिति है
कि चुप रहे तो गए।

- विष्णु नागर
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संपादकीय चयन 

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