शनिवार, 31 अगस्त 2024

लोकतंत्र

खरगोश
बाघों को बेचता था,
फिर
अपना पेट भरता था।

बिके बाघ
ख़रीदारों को
खा गए,
फिर बिकने
बाज़ार में
आ गए।

- अनामिका अनु
------------------

हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें