रविवार, 4 अगस्त 2024

नृत्य

धूसर रेत के
टीले पर
चाँदनी
आई उतर
साठ कली का
घाघरा
अँगिया
एक कली भर
पीले, लाल
सुर्ख रंगों से
रंगी थी
उसकी चूनर
वाणी सुरीली
कमर लचीली
पाँव उठे जो इस गोरी के
कैसे झूमी रेत नचीली।

- दिव्या माथुर
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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