सोमवार, 5 अगस्त 2024

दो भीगे शब्द

तुम क्या
दे देते हो
जो कोई नहीं दे पाता
दो भीगे शब्द
जो मेरे सबसे शुष्क प्रश्नों का
उत्तर होते हैं।

तुम मुझसे ले लेते हो
तन्हा लम्हें
और मैं महसूस करती हूँ
एक गुनगुनाती भीड़
खुद के ख़ूब भीतर।

मेरी पीड़ाओं पर
तुम्हारा स्पर्श
एक नई रासायनिक प्रतिक्रिया का
हेतु बनता है,
मेरी पीड़ाएँ
तुम्हारे स्पर्श में घुलकर
शहद हो जाती हैं,
मैं मीठा महसूस करती हूँ।

- अनामिका अनु
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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