गुरुवार, 16 जनवरी 2025

नयनों की भाषा

नयनों की भाषा,

केवल नयन समझते हैं।

दिल को ठेस लगी जब,

नयनों से अश्रु बरसते हैं।

हृदय क्रोध से जलता जब,

नयन अंगार उगलते हैं।

प्रिय से मिलन हुए तो,

नयनों में जलद उमड़ते हैं।

आग पेट की जलती जब,

नयन आस में तकते हैं।

आशाएँ धूमिल होतीं जब,

नयन निराश झलकते हैं।

झूठ कपट पकड़े जाते जब,

नयन नयन से छिपते हैं।

दिल की भाषा होती सच,

जब नयन नयन से मिलते हैं।

थक कर चूर हुए जब,

नयन नींद में ढलते हैं।

नयनों की भाषा,

केवल नयन समझते हैं।


- शिवेंद्र कुमार श्रीवास्तव

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मनीष कुमार श्रीवास्तव जी के सौजन्य से 

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