शुक्रवार, 3 जनवरी 2025
भूलना
हमने विस्मृति के बीज डाले
तो यादों का दरख़्त उग आया
कुछ चीज़ों को भूलना कितना कठिन है
जैसे इस उम्र में
कुछ चीज़ों को याद रखना!
- मदन कश्यप
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