कितना आसान है
किसी ऐसे शहर के बारे में सोचना
जो दफ़न हो गया हो
पूरा का पूरा ज़मीन के भीतर
पुराणों के शेषनाग के हिलने से सही
या डूब गया हो गले तक
बाढ़ के पानी में
इंद्र के प्रकोप से ही सही
या भाग रहा हो आधी रात को
साँस लेने के लिए
चिमनी से निकलने वाले
दंतकथाओं के दैत्य से डरकर ही सही
ढूँढ़ लो किसी जर्जर पोथी में
लिखा हुआ मिल जाएगा
पृथ्वी जल वायु और आकाश
समस्त प्राणियों की सामूहिक संपत्ति है
जिससे हम
अपना हिस्सा चुराकर
अपने शहर में स्टीरियो पर
पर्यावरण के गीत सुनते
आँखें मूँदे पड़े हैं
वहीं कहीं प्रदूषित महासागरों का नमक
चुपचाप प्रवेश कर रहा है हमारे रक्त में
आधुनिकता की अंधी कुल्हाड़ी से
बेआवाज़ कट रहा है
हमारे शरीर का एक एक भाग
सूखा, बाढ़, उमस और घुटन
चमकदार कागज़ों में लपेटकर देने चले हैं हम
आनेवाली पीढ़ी को
हवा में गूँज रही हैं
चेतावनी की सीटियाँ
दूरदर्शन के पर्दे से बाहर आ रहे हैं
उन शहरों के वीभत्स दृश्य
हमारे खोखले आशावाद की जड़ें काटता हुआ
हमे डरा रहा है एक विचार
कल ऐसा ही कुछ
हमारे शहर के साथ भी हो सकता है
यह भय व्यर्थ नहीं है।
किसी ऐसे शहर के बारे में सोचना
जो दफ़न हो गया हो
पूरा का पूरा ज़मीन के भीतर
पुराणों के शेषनाग के हिलने से सही
या डूब गया हो गले तक
बाढ़ के पानी में
इंद्र के प्रकोप से ही सही
या भाग रहा हो आधी रात को
साँस लेने के लिए
चिमनी से निकलने वाले
दंतकथाओं के दैत्य से डरकर ही सही
ढूँढ़ लो किसी जर्जर पोथी में
लिखा हुआ मिल जाएगा
पृथ्वी जल वायु और आकाश
समस्त प्राणियों की सामूहिक संपत्ति है
जिससे हम
अपना हिस्सा चुराकर
अपने शहर में स्टीरियो पर
पर्यावरण के गीत सुनते
आँखें मूँदे पड़े हैं
वहीं कहीं प्रदूषित महासागरों का नमक
चुपचाप प्रवेश कर रहा है हमारे रक्त में
आधुनिकता की अंधी कुल्हाड़ी से
बेआवाज़ कट रहा है
हमारे शरीर का एक एक भाग
सूखा, बाढ़, उमस और घुटन
चमकदार कागज़ों में लपेटकर देने चले हैं हम
आनेवाली पीढ़ी को
हवा में गूँज रही हैं
चेतावनी की सीटियाँ
दूरदर्शन के पर्दे से बाहर आ रहे हैं
उन शहरों के वीभत्स दृश्य
हमारे खोखले आशावाद की जड़ें काटता हुआ
हमे डरा रहा है एक विचार
कल ऐसा ही कुछ
हमारे शहर के साथ भी हो सकता है
यह भय व्यर्थ नहीं है।
- शरद कोकास।
----------------------------
अनुभूति काबरा की पसंद
अनुभूति काबरा की पसंद
वाजिब भय... सभ्यताएँ मिट जाती हैं, नेस्तनाबूत हो जाते हैं शहर, वह लोग, उनका वास्तु शिल्प... और फिर एक पुरातत्ववेत्ता, उसे खोज एक नयी पहचान देता है.
जवाब देंहटाएं