शुक्रवार, 22 सितंबर 2023

मन बहुत सोचता है

मनबहुतसोचताहैकिउदासहो
परउदासीकेबिनारहाकैसेजाए?

शहरकेदूरकेतनाव-दबावकोईसहभीले,
परयहअपनेहीरचेएकांतकादबावसहाकैसेजाए!

नीलआकाश,तैरते-सेमेघकेटुकड़े,
खुलीघासमेंदौड़तीमेघ-छायाएँ,
पहाड़ीनदी:पारदर्शपानी,
धूप-धुलेतलकेरंगारंगपत्थर,
सबदेखबहुतगहरेकहींजोउठे,
वहकहूँभीतोसुननेकोकोईपासहो-

इसीपरजोजीमेंउठेवहकहाकैसेजाए!

मनबहुतसोचताहैकिउदासहो,हो,

परउदासीकेबिनारहाकैसेजाए!

- अज्ञेय।

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संपादकीय पंसद

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