कवि साहिब
मैं पहली पंक्ति लिखता हूँ
और डर जाता हूँ राजा के सिपाहियों से
पंक्ति काट देता हूँ
मैं पहली पंक्ति लिखता हूँ
और डर जाता हूँ राजा के सिपाहियों से
पंक्ति काट देता हूँ
मैं दूसरी पंक्ति लिखता हूँ
और डर जाता हूँ बाग़ी गुरिल्लों से
पंक्ति काट देता हूँ
मैंने अपने प्राणों की ख़ातिर
अपनी हज़ारों पंक्तियों को
ऐसे ही क़त्ल किया है
उन पंक्तियों की आत्माएँ
अक्सर मेरे आसपास ही रहती हैं
और मुझे कहती हैं -
कवि साहिब
कवि हैं या कविता के क़ातिल हैं आप?
सुने मुंसिफ़ बहुत इंसाफ़ के क़ातिल
बड़े धर्म के रखवाले
ख़ुद धर्म की पवित्र आत्मा को
क़त्ल करते भी सुने थे
सिर्फ़ यही सुनना बाक़ी था
कि हमारे वक़्त में ख़ौफ़ के मारे
कवि भी बन गए
कविता के हत्यारे।
- सुरजीत पातर।
पंजाबी से अनुवाद: चमनलाल
अनूप भार्गव की पसंद
शानदार अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंइनकी कविताएं धरातल से जुड़ी होती हैं।अंतस को हिलोर देती हैं।
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