ज़रा मोहतात होना चाहिए था
बग़ैर अश्कों के रोना चाहिए था
बग़ैर अश्कों के रोना चाहिए था
अब उनको याद करके रो रहे हैं
बिछड़ते वक़्त रोना चाहिए था
मिरी वादा-ख़िलाफ़ी पर वो चुप है
उसे नाराज़ होना चाहिए था
चला आता यक़ीनन ख़्वाब में वो
हमें कल रात सोना चाहिए था
सुई धागा मोहब्बत ने दिया था
तो कुछ सीना पिरोना चाहिए था
हमारा हाल तुम भी पूछते हो
तुम्हें मालूम होना चाहिए था
वफ़ा मजबूर तुमको कर रही थी
तो फिर मजबूर होना चाहिए था
- फ़हमी बदायूनी।
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मोहतात - सतर्क, सावधान।
मोहतात - सतर्क, सावधान।
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अनूप भार्गव की पसंद
बेहतरीन गजल।अनूप सर की पसंद ऐसी वैसी नहीं हो सकती।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
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