मंगलवार, 5 सितंबर 2023

भारत की संतान को दे उपदेश

भारत की संतान को दे उपदेश!
भूखी नंगी जान को दे उपदेश!
बत्तमीज इंसान को दे उपदेश!

जैसे चाहे भाषण झाड़
शेष चंदोवे को भी फाड़
चोरों से चोरी करवा
साहूकार से कह, सोजा
कंगालों से व्रत करवा 
मरने का कर्तव्य सिखा
रोटी माँगे, दे उपदेश!
रोजी माँगे, दे उपदेश!
चीख पड़े तो दे उपदेश!
मूक रहे तो दे उपदेश
भारत की संतान को...

मन गुलाम है, सेवा ले
आजादी का धोखा दे
जनता अपढ़ गँवार है
मूरख है, लाचार है
हाड़ तोड़ मेहनत करवा 
इनकी मेहनत खुद खा जा
श्रमदानों का, दे उपदेश
बलिदानों का, दे उपदेश
जाग पड़े तो दे उपदेश
सो जाए तो दे उपदेश
भारत की संतान को...

सभी गधों को राजा कह
उल्लू को अधिराजा कह
चमगादड़ विद्वान हैं
गुण गौरव की खान हैं
तोतों से सुन मर्यादाएँ
दादाओं की गूढ़ अदाएँ
समझदार को, दे उपदेश
कलाकार को, दे उपदेश
सृजन करें तो दे उपदेश
भजन करें तो दे उपदेश।                           
भारत की संतान को...

उपदेशों का राग न छोड़
औरों की तकदीरें फोड़
औरों को परहेज बता
खुद चाहे इंसान चबा
नैतिकता की लाश पर
अनुशासन की बात कर
सगे बाप को, दे उपदेश
ससुर-सास को, दे उपदेश!
अच्छों को तो दे उपदेश!
सच्चों को तो दे उपदेश!
भारत की संतान को दे उपदेश!

- मंगल सक्सेना।
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