वोजमाहोंगेएकदिनऔरखेलेंगेएकसाथमिलकर
वोसाफ़-सुथरीदीवारोंपर
पेंसिलकीनोकरगड़ेंगे
वोकुत्तोंसेबतियाएँगे
औरबकरियोंसे
औरहरेटिड्डोंसे
औरचीटियोंसेभी...
वोदौड़ेंगेबेतहाशा
हवाऔरधूपकीमुसलसलनिगरानीमें
औरधरतीधीरे-धीरे
औरफैलतीचलीजाएगी
उनकेपैरोंकेपास...
देखना!
वोतुम्हारीटैंकोंमेंबालूभरदेंगेएकदिन
औरतुम्हारीबंदूक़ोंको
मिट्टीमेंगहरादबादेंगे
वोसड़कोंपरगड्ढेखोदेंगे
औरपानीभरदेंगे
औरपानियोंमेंछपा-छपलौटेंगे...
वोप्यारकरेंगेएकदिनउनसबसे
जिनसेतुमनेउन्हेंनफ़रतकरनासिखायाहै
वोतुम्हारीदीवारोंमें
छेदकरदेंगेएकदिन
औरआर-पारदेखनेकीकोशिशकरेंगे
वोसहसाचीख़ेंगे!
औरकहेंगे:
“देखो!उसपारभीमौसमतोहमारेयहाँजैसाहीहै”
वोहवाऔरधूपकोअपनेगालोंकेगिर्द
महसूसकरनाचाहेंगे
औरतुमउसदिनउन्हेंनहींरोकपाओगे!
एकदिनतुम्हारेमहफ़ूज़घरोंसेबच्चेबाहरनिकलआएँगे
औरपेड़ोंपेघोंसलेबनाएँगे
उन्हेंगिलहरियाँकाफ़ीपसंदहैं
वोउनकेसाथहीबड़ाहोनाचाहेंगे...
तुमदेखोगेजबवोहरचीज़उलट-पुलटदेंगे
उसेऔरसुंदरबनानेकेलिए...
एकदिनमेरीदुनियाकेतमामबच्चे
चींटियों,कीटों
नदियों,पहाड़ों,समुद्रों
औरतमामवनस्पतियोंकेसाथमिलकरधावाबोलेंगे
औरतुम्हारीबनाईहरएकचीज़को
खिलौनाबनादेंगे...
- अदनान कफ़ील दरवेश।
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संपादकीय पसंद
रंग,नस्ल,राष्ट्र और भाषा को चीरती प्रेम की फुहार सी रचना। बच्चे के माध्यम से बड़े बुज़ुर्गों को मानवता से मिलवाती अप्रतिम रचना, साझा हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंशानदार अभिव्यक्ति
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