शनिवार, 23 सितंबर 2023

मेरी दुनिया के तमाम बच्चे

वोजमाहोंगेएकदिनऔरखेलेंगेएकसाथमिलकर
वोसाफ़-सुथरीदीवारोंपर
पेंसिलकीनोकरगड़ेंगे
वोकुत्तोंसेबतियाएँगे
औरबकरियोंसे
औरहरेटिड्डोंसे
औरचीटियोंसेभी...
वोदौड़ेंगेबेतहाशा

हवाऔरधूपकीमुसलसलनिगरानीमें
औरधरतीधीरे-धीरे

औरफैलतीचलीजाएगी

उनकेपैरोंकेपास...

देखना!
वोतुम्हारीटैंकोंमेंबालूभरदेंगेएकदिन
औरतुम्हारीबंदूक़ोंको
मिट्टीमेंगहरादबादेंगे
वोसड़कोंपरगड्ढेखोदेंगे
औरपानीभरदेंगे
औरपानियोंमेंछपा-छपलौटेंगे...
वोप्यारकरेंगेएकदिनउनसबसे

जिनसेतुमनेउन्हेंनफ़रतकरनासिखायाहै
वोतुम्हारीदीवारोंमें
छेदकरदेंगेएकदिन
औरआर-पारदेखनेकीकोशिशकरेंगे

वोसहसाचीख़ेंगे!
औरकहेंगे:
“देखो!उसपारभीमौसमतोहमारेयहाँजैसाहीहै”
वोहवाऔरधूपकोअपनेगालोंकेगिर्द
महसूसकरनाचाहेंगे
औरतुमउसदिनउन्हेंनहींरोकपाओगे!
एकदिनतुम्हारेमहफ़ूज़घरोंसेबच्चेबाहरनिकलआएँगे

औरपेड़ोंपेघोंसलेबनाएँगे
उन्हेंगिलहरियाँकाफ़ीपसंदहैं
वोउनकेसाथहीबड़ाहोनाचाहेंगे...
तुमदेखोगेजबवोहरचीज़उलट-पुलटदेंगे

उसेऔरसुंदरबनानेकेलिए...
एकदिनमेरीदुनियाकेतमामबच्चे
चींटियों,कीटों
नदियों,पहाड़ों,समुद्रों
औरतमामवनस्पतियोंकेसाथमिलकरधावाबोलेंगे

औरतुम्हारीबनाईहरएकचीज़को
खिलौनाबनादेंगे...

- अदनान कफ़ील दरवेश।
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संपादकीय पसंद

2 टिप्‍पणियां:

  1. रंग,नस्ल,राष्ट्र और भाषा को चीरती प्रेम की फुहार सी रचना। बच्चे के माध्यम से बड़े बुज़ुर्गों को मानवता से मिलवाती अप्रतिम रचना, साझा हेतु धन्यवाद!

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