रविवार, 3 नवंबर 2024
ठुमरियों का महाकाव्य
हाथ भर की रसोई
बित्ते भर का झरोखा
वहीं से आसमान बुहारती हुई वह
ठुमरियों का महाकाव्य रच रही है।
- कल्पना पंत
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से
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