बुधवार, 6 नवंबर 2024

युद्ध और प्रेम

मैं तुमसे मिलने आई

प्रेम की उद्दाम कामना लिए

अँगारों पर लोटती नायिका की भाँति अभिसार के लिए नहीं

अपने भीतर भरे आदिम भय से मुक्ति की चाहत लिए आई

मैं आई विद्रोह लिए आई

रूढ़ियों, ऑनर किलिंग, बलात्कारी हत्याओं, मौरल पुलिसिंग के ठेकेदारों को यह दिखाती आई

कि प्रेम अंतत: प्रेम है

तुम लाख नफ़रत फैला लो

जीतेगा अंततः प्रेम ही

रंग, रक्त, धर्म, वक़्त

कितना ही विलगालो

जीतेगा बस प्रेम ही।

 - कल्पना पंत

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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

  

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