उपमा अलंकार
मुझ पर न लादो बरबस
आओ
मैं अपना परिचय स्वयं दूँ
मैं
एक खोखला
कुरूप बाँस हूँ
खंडित और छिद्रमय
मेरे भीतर
दीर्घशून्य है
पर जब तुम
छूते हो मेरी अनघड़ काया को
अपने थरथराते अधरों से
तो
मैं भूल जाती हूँ खुद को
लगता है
मैं कुछ 'और' भी हूँ
मेरा परिचय
कुछ 'और' भी है
तुम कह दो
कह दो न तुम
तुम बाँस ही नहीं
हो
बाँसुरी भी।
- रेखा
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संपादकीय चयन
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