कोहरे की बुक्कल मारे हुए
सूरज का माखौल उड़ाता
बर्फीले नाले में खड़ा बच्चा
'झूम बराबर झूम' गुनगुनाता
तलाश रहा है कचरा।
सूरज का माखौल उड़ाता
बर्फीले नाले में खड़ा बच्चा
'झूम बराबर झूम' गुनगुनाता
तलाश रहा है कचरा।
चार से छह बच्चों का समूह
विकास भवन के कूड़ेदानों से
तलाशता रहता है
फाइल कवर
मिठाई के खाली डिब्बे।
कहीं भी, कैसी भी गंदगी हो
सितारवादक सी
सधी उँगलियों से ये
तलाश ही लेते हैं
अपनी ज़रुरत।
दिन ढले पचास-साठ रुपए लिए
घर लौटने पर इन्हें
न जाने कैसी नजर से देखती है माँ
और गरमाहट से भरने लगता है
ठंडा चूल्हा।
- मनु स्वामी
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शिवानंद सिंह सहयोगी की पसंद
ओहो! यथार्थवादी सृजन की शुभकामना!
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