बुधवार, 23 जुलाई 2025

मेरे सुग्गे तुम उड़ना


दगा है उड़ना

धोखा है उड़ना

कोई कहे-

छल है, कपट है उड़ना


पर मेरे सुग्गे, तुम उड़ना

तुम उड़ना

पिंजड़ा हिला

सोने की कटोरी गिरा

अनार के दाने छींट

धूप में करके छेद

हवाओं की सिकड़ी बजा

मेरे सुग्गे, तुम उड़ना।


 - बद्रीनारायण

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-विजया सती के सौजन्य से 

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