गुरुवार, 24 जुलाई 2025

कल से प्रेम

सुबह तीन बजे उठूँगा 

तानपूरा सुनूँगा 

ध्यान करूँगा 

ऋचाएँ पढूँगा 

रहस्यों पर सोचूँगा 

सत्य को जानूँगा 

प्यार को सोने दूँगा 

उसे जगाऊँगा नहीं 

निशब्द पुकारूँगा 

काली काफी बनाऊँगा-पीऊँगा

सब कुछ बहुत धीमी गति से करूँगा 

इधर-उधर जाता रहूँगा 

केंद्र को केंद्र नहीं रहने दूँगा

इच्छाओं को शर्म से बाधित करूँगा 

जड़ता को श्रम से 

घड़ी से ज्यादा सही चलूँगा 

नई किताबें शुरू करूँगा 

नई कथाएँ 

कम काम लूँगा 

ज्यादा काम करूँगा।


 - अविनाश मिश्र

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- विजया सती के सौजन्य से

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