गुरुवार, 17 जुलाई 2025

सितारे लटके हुए हैं तागों से आस्माँ पर

सितारे लटके हुए हैं तागों से आस्माँ पर
चमकती चिंगारियाँ-सी चकरा रहीं आँखों की पुतलियों में
नज़र पे चिपके हुए हैं कुछ चिकने-चिकने से रौशनी के धब्बे
जो पलकें मूँदूँ तो चुभने लगती हैं रौशनी की सफ़ेद किरचें
मुझे मेरे मखमली अँधेरों की गोद में डाल दो उठाकर
चटकती आँखों पे घुप्प अँधेरों के फाए रख दो
यह रौशनी का उबलता लावा न अंधा कर दे।

- गुलज़ार
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