घर
में अभी मुखौटों वाले
चेहरे
नहीं
हवा
से कह दो।
अभी
झरोखों से दीवारें
तन
से मन से दूर नहीं हैं
हैं
मजबूत इरादों वाली
लेकिन
दिल से क्रूर नहीं हैं
आपस
में मतभेद किसी में
गहरे
नहीं
हवा
से कह दो।
आने
जाने और नाचने
गाने
पर प्रतिबंध नहीं है
हाँ
उसका सम्मान न होगा
जिसमें
कोई गंध नहीं है
खनक
नृत्य की सुनने वाले
बहरे
नहीं
हवा
से कह दो।
आँगन
में तुलसी का चौरा
बहुत
ठीक है दुखी नहीं है
सबसे
बात कर रहा हँसकर
सुगना
अंतर्मुखी नहीं है
अभी
खिड़कियाँ खुली हुई हैं
ठहरे
नहीं
हवा से कह दो।
- मयंक
श्रीवास्तव
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-हरप्रीत
सिंह पुरी के सौजन्य से
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