गुरुवार, 31 जुलाई 2025

गज़ल

वो रंजिश में नहीं अब प्यार में है
मेरा दुश्मन नए किरदार में है

खुशी के साथ ग्लोबल आपदाएँ
भई खतरा तो हर व्यापार में है

नहीं समझेगा कोई दर्द तेरा
तड़पना, टूटना बेकार में है

कोई उम्मीद हो जिसमें, खबर वो 
बताओ क्या किसी अखबार में है

घरों में आज सूनापन है केवल 
यहाँ रौनक तो बस बाज़ार में है

- विनय मिश्र

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संपादकीय चयन 

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