वो रंजिश में नहीं अब प्यार में है
मेरा दुश्मन नए किरदार में है
खुशी के साथ ग्लोबल आपदाएँ
भई खतरा तो हर व्यापार में है
नहीं समझेगा कोई दर्द तेरा
तड़पना, टूटना बेकार में है
कोई उम्मीद हो जिसमें, खबर वो
बताओ क्या किसी अखबार में है
घरों में आज सूनापन है केवल
यहाँ रौनक तो बस बाज़ार में है
- विनय मिश्र
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संपादकीय चयन
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