गुरुवार, 3 जुलाई 2025

शब्द

 शब्द

शब्द अगर आना तो –                                 

कोई शुभ्र अर्थ लाना,

तुमको रच, अपने गीतों का

कोष सँवारूँगा।

अर्थ कि वह ताजा – टटका

जो मन पीड़ा हरदे

हृदय- कुंड खारे पानी को

जो मीठा कर दे

 

मित्र सार्थक बनकर

मन के पन्नों छा जाना,

मिले भाव- नवनीत, सृजन की-

रई बिलोड़ूँगा।

दीन- दुखी कर दर्दों का-

मरहम लाना भाई

घीसू’ हरषे और असीसे

जुमम्न’ की माई

मुल्ला- पंडित गले मिलें

वह युक्ति साथ लाना,

आपस में जो पड़ी बैर-

की, गाँठें खोलूँगा।

वंचित को हो चना – चबैना

भूखा पेट भरे

सन्नाटों को चीर – चिरइया

होकर मुक्त उड़े

बच्चों की बेलौस हँसी

अक्षर – अक्षर दमके,

अपनी कलम उतार, धुंध के

बादल छाटूँगा। 

 

- श्यामलाल ‘शामी’

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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 


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