शनिवार, 7 जून 2025

एक ही प्रेम

एक प्रेम काफ़ी है ज़िंदा रहने के लिए 
एक ही प्रेम नष्ट होने के लिए 
पर्याप्त है एक प्रेम का दंड

एक का ही वरदान कर देता है धन्य 
एक प्रेम की निराशा फैल जाती है दूर तक
और वही थाम लेता है आशा का चिथड़ा 
एक प्रेम से ऊब पैदा होती है, उसी से तृप्ति

एक प्रेम सूर्योदय और सूर्यास्त के लिए 
वही काफ़ी है रात में चाँद सितारों के वास्ते
एक प्रेम की व्यग्रता हो सकती है बर्दाश्त
सँभाली जा सकती है बस एक प्रेम की प्रसन्नता 
एक प्रेम गर्व से कर देता है सिर ऊँचा

और वही बैठा देता है घुटनों के बल 
जब कोई नहीं रहता, कुछ नहीं बचता 
सब विदा ले चुके होते हैं तो अतल की तलहटी में 
सूखे उजाड़ जीवन में टिमटिमाता है वही एक प्रेम 
उसकी टिमटिमाहट दिखती है प्रखर रौशनी की तरह 
जब सब तरफ़ कोलाहल, आपाधापी और घबराहट होती है

एक वही प्रेम हाथ थामकर देता है आत्मीय एकांत 
और वही धकेल देता है जीवन की भागमभाग में 
एक ही प्रेम कर देता है जीना मुश्किल 
और एक उसी के लिए तो अटकी हुई है यह साँस।

- कुमार अंबुज 
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