एक प्रेम काफ़ी है ज़िंदा रहने के लिए
एक ही प्रेम नष्ट होने के लिए
पर्याप्त है एक प्रेम का दंड
एक का ही वरदान कर देता है धन्य
एक प्रेम की निराशा फैल जाती है दूर तक
और वही थाम लेता है आशा का चिथड़ा
एक प्रेम से ऊब पैदा होती है, उसी से तृप्ति
एक प्रेम सूर्योदय और सूर्यास्त के लिए
वही काफ़ी है रात में चाँद सितारों के वास्ते
एक प्रेम की व्यग्रता हो सकती है बर्दाश्त
सँभाली जा सकती है बस एक प्रेम की प्रसन्नता
एक प्रेम गर्व से कर देता है सिर ऊँचा
और वही बैठा देता है घुटनों के बल
जब कोई नहीं रहता, कुछ नहीं बचता
सब विदा ले चुके होते हैं तो अतल की तलहटी में
सूखे उजाड़ जीवन में टिमटिमाता है वही एक प्रेम
उसकी टिमटिमाहट दिखती है प्रखर रौशनी की तरह
जब सब तरफ़ कोलाहल, आपाधापी और घबराहट होती है
एक वही प्रेम हाथ थामकर देता है आत्मीय एकांत
और वही धकेल देता है जीवन की भागमभाग में
एक ही प्रेम कर देता है जीना मुश्किल
और एक उसी के लिए तो अटकी हुई है यह साँस।
- कुमार अंबुज
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