बुधवार, 27 सितंबर 2023

किस तरह मिलूँ तुम्हें

किस तरह मिलूँ तुम्हें
क्यों न खाली क्लास रूम में
किसी बेंच के नीचे
और पेंसिल की तरह पड़ा
तुम चुपचाप उठाकर
रख लो मुझे बस्ते में
क्यों न किसी मेले में
और तुम्हारी पसंद के रंग में
रिबन की शक्ल में दूँ दिखाई
और तुम छुपाती हुई अपनी ख़ुशी
खरीद लो मुझे
या कि इस तरह मिलूँ
जैसे बीच राह में टूटी
तुम्हारी चप्पल के लिए 
बहुत ज़रूरी पिन

- पवन करण।
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अनूप भार्गव की पसंद

मंगलवार, 26 सितंबर 2023

सीखा कहाँ से रोना?

सीखाकहाँसेरोना
धर गालहाथपरतुम
आँसूबहारहेहो
लगताहमेंहैऐसा
तुमआदमीनहींहो
भैंसोंकोआगेठेलो
हलडोरउठोलेलो
फिरगूँजेस्वरतुम्हारा
हेलोलोहेलोहेलो
धरतीतुम्हारीप्यारी
देदेगीतुम्हेंसोना
सीखाकहाँसेरोना?

- ठाकुरप्रसाद सिंह।
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संपादकीय पसंद

सोमवार, 25 सितंबर 2023

ग़ज़ल

तुमने इस तालाब में रोहू पकड़ने के लिए
छोटी-छोटी मछलियाँ चारा बनाकर फेंक दीं

हम ही खा लेते सुबह को भूख लगती है बहुत
तुमने बासी रोटियाँ नाहक उठा कर फेंक दीं

जाने कैसी उँगलियाँ हैं, जाने क्या अंदाज़ हैं
तुमने पत्तों को छुआ था जड़ हिलाकर फेंक दी

इस अहाते के अँधेरे में धुआँ-सा भर गया
तुमने जलती लकड़ियाँ शायद बुझा कर फेंक दीं

- दुष्यंत कुमार।
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हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद 

रविवार, 24 सितंबर 2023

जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे

जोमेरेघरकभीनहींआएँगे
मैंउनसेमिलने
उनकेपासचलाजाऊँगा।

एकउफनतीनदीकभीनहींआएगीमेरेघर
नदीजैसेलोगोंसेमिलने
नदीकिनारेजाऊँगा
कुछतैरूँगाऔरडूबजाऊँगा
पहाड़,टीले,चट्टानें,तालाब
असंख्यपेड़खेत
कभीनहींआएँगेमेरेघर
खेत-खलिहानोंजैसेलोगोंसेमिलने
गाँव-गाँव,जंगल-गलियाँजाऊँगा।

जोलगातारकाममेंलगेहैं
मैंफ़ुरसतसेनहीं
उनसेएकज़रूरीकामकीतरह
मिलतारहूँगा-

इसेमैंअकेलीआख़िरीइच्छाकीतरह
सबसेपहलीइच्छारखनाचाहूँगा।

- विनोद कुमार शुक्ल।
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प्रगति टिपणीस की पसंद