तुमने जो कहा
वो
मैं समझी नहीं
मैंने
जो समझा
वो
तुमने कहा नहीं
वो
मैं समझी नहीं
मैंने
जो समझा
वो
तुमने कहा नहीं
इस
कहने-सुनने में
कितने दिन
निकल गए
और
फिर समझने में
शायद
पूरी ज़िंदगी
निकल जाए
लेकिन
फिर भी
अगर तुम
मेरी समझ को
समझ सको
किसी दिन
ज़िंदगी को
शायद
अर्थ मिल जाए
उस दिन
- किरण मल्होत्रा
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से
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