रविवार, 9 जून 2024

बेशर्म आज़ाद आवारा औरतें

बेशर्म आज़ाद आवारा औरतें
चुनती हैं सबसे शोख रंग की लिपस्टिक
नहीं डरती अपने ही कूल्हों के मटकने से
दुपट्टों को फैशन एक्सेसरीज-सा ओढ़ती हैं
खुद तय करती हैं अपने सौंदर्य के मानक
देखती हैं खुद को आईने में देखते हुए
 
बेशर्म आज़ाद आवारा औरतें
रोटियाँ बेल झट बच्चों के टिफ़िन पैक कर
निकल पड़ती हैं अपने उद्देश्य की ओर
जैसे पृथ्वी पर खेंचे सभी रास्ते
उसके अपने श्रम का मेहनताना हों
 
बेशर्म आज़ाद आवारा औरतें
प्रेम करती हैं - खुलकर
सपने देखती हैं - वैयक्तिक
हँसती हैं - ठठाकर
पढ़ती हैं - खबरें
प्रश्न उठाती हैं मुद्दों पर
 
बेशर्म आज़ाद आवारा औरतें
सहलाती हैं पृथ्वी को
जैसे वो उनकी बूढी माँ हो
देखती हैं आसमान की आँखों में
इतिहास की कराह
और जीती हैं इस तरह
मानो ये दुनिया उनकी अपनी हो!
 
-  जया पाठक श्रीनिवासन
----------------------------

हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें