1.
अनेक नाम हो सकते है ईश्वर को पुकारने के
पर तुम ईश्वर को हमेशा मनुष्य रूप में ही पुकारना
कम से कम इससे ईश्वर को होगी
और अधिक सहजता
क्योंकि ईश्वर के 'नाम' से अधिक ईश्वर-सा 'काम' ही है जो
पृथ्वी को और भी अधिक सुंदर बना सकता है।
अनेक नाम हो सकते है ईश्वर को पुकारने के
पर तुम ईश्वर को हमेशा मनुष्य रूप में ही पुकारना
कम से कम इससे ईश्वर को होगी
और अधिक सहजता
क्योंकि ईश्वर के 'नाम' से अधिक ईश्वर-सा 'काम' ही है जो
पृथ्वी को और भी अधिक सुंदर बना सकता है।
2.
किसी पेड़ में देवता वास कर सकते हैं,
किसी नदी के जल से ईश स्नान कर सकते हैं,
किसी पशु पर देव सवारी कर सकते हैं,
और तो और एक पत्थर में भी प्रभु दिख सकते हैं,
फिर तुम तो मनुष्य ठहरें ना,
तुम बेशक ईश्वर न बन सको पर ईश्वर सरीखे तो बन ही सकते हो।
3.
ईश्वर तुम्हें कब, कहाँ और कैसे मिलेगा
यह तुम नहीं जानते हो,
पर उससे मिलने की संभावनाएँ बनी रहें इसलिए
इन सभी प्रश्नों के परे
"वह मुझसे क्यों मिलेगा?"
को सोचते हुए
मैं स्वयं को नित्य संवार रही हूँ।
- हर्षिता पंचारिया
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से
"वह मुझसे क्यों मिलेगा?"
जवाब देंहटाएंको सोचते हुए
मैं स्वयं को नित्य संवार रही हूँ।...संवारना आवश्यक है, ईश्वर मिले न मिले।