साथ किसी के रहना लेकिन
खुद को खुद से दूर न रखना।
खुद को खुद से दूर न रखना।
रेगिस्तानों में उगते हैं
अनबोये काँटों के जंगल,
भीतर एक नदी होगी तो
कलकल-कलकल होगी हलचल,
जो प्यासे सदियों से बंधक
अब उनको मजबूर न रखना।
खंडहरों ने रोज बताया
सारे किले ढहा करते हैं,
कोशिश से सब कुछ संभव है
सच ही लोग कहा करते हैं,
भले दरक जाना बाहर से
मन को चकनाचूर न रखना।
पहले से होता आया है
आगे भी होता जायेगा,
अंगारों के घर से अक्सर
फूलों को न्योता आयेगा,
आग दिखाना नक्कारों को
शोलों पर संतूर न रखना।
- ज्ञान प्रकाश आकुल
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से
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