मेरे पिता के पिता के पिता के पास
कोई संपत्ति नहीं थी।
कोई संपत्ति नहीं थी।
मेरे पिता के पिता को अपने पिता का
वारिस अपने को सिद्ध करने के लिए भी
मुक़द्दमा लड़ना पड़ा था।
मेरे पिता के पिता के पास
एक हारमोनियम था
जिसके स्वर उसकी निजी संपत्ति थे।
मेरे पिता के पास उनकी निजी नौकरी थी
उस नौकरी के निजी सुख-दुख थे।
मेरी भी निजता अनंत
अपने निर्णयों के साथ।
इस पूरी निजी परंपरा में मैंने
सामाजिकता का एक लंबा पासवर्ड डाल रखा है।
- विवेक निराला
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से
वाह जिंदगी के अनुभव का निचोड़ है पासवर्ड!
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