मंगलवार, 2 जुलाई 2024

छंद

मैं सभी ओर से खुला हूँ 
वन-सा, वन-सा अपने में बंद हूँ 
शब्द में मेरी समाई नहीं होगी 
मैं सन्नाटे का छंद हूँ।

- अज्ञेय
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संपादकीय चयन 

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