मंगलवार, 23 जुलाई 2024

एक गीत मेरा भी गा दो

एक गीत मेरा भी गा दो।

स्वर की गलियों के बंजारे
मेरे छंद करो उजियारे
किरन-किरन में बाँध लुटा दो।
एक गीत मेरा भी गा दो।

स्वर बाला के राजदुलारे
उठा गीत-नग नेक चुरा रे
स्वर की सुषमा से चमका दो।
एक गीत मेरा भी गा दो।

स्वर मधुबन के कुँवर कन्हैया
मेरा गीत एक ग्वालनिया
लय की बाँहों से लिपटा दो।
एक गीत मेरा भी गा दो।

- श्रीकांत जोशी
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संपादकीय चयन 

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