सारंगी इसलिए बनी थी
कि प्रकृति किसी कंधे की टेक ले
सुना सके
पीड़ा की तान पर
प्रेमियों के बिछोह के गीत
कि प्रकृति किसी कंधे की टेक ले
सुना सके
पीड़ा की तान पर
प्रेमियों के बिछोह के गीत
तबला बना
इसलिए कि वो बाँध सके
उन तानों को
अंतहीन आवर्तनों के अहाते में
जो आते-जाते उन गीतों के आघातों से
बस!
टूटने टूटने को होते
कि तभी
तुम थाम लेती हो
उन गिरते अहातों को
कंठ से फूटे
एक कसे हुए आलाप में
ईश्वर ने पृथ्वी पर प्रेम रखा
और उसके अंजाम पर ठिठक गया खुद
तुम आई
कि उस घबराए हुए ईश्वर
को चाहिए थी तुम्हारी तान की टेक
अपने शोक गीतों के लिए
चाहिए था
एक स्त्री के हृदय भर का आसमान
- जया पाठक श्रीनिवासन
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