गुरुवार, 4 जुलाई 2024

बूँदें

बरसती हैं बूँदें
झूमते हैं पत्ते
पत्ता-पत्ता जी रहा है
पल पल को
आने वाले कल से बेख़बर

- कुसुम जैन
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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