शनिवार, 20 जुलाई 2024

वक़्त ज़रा थम जा

वक्त
ज़रा थम जा
मुझे और अभी कहना है 

खिलते चले जा रहे हैं
अभी
ढेर ताजे़ फूल

अंजलि में भर-भर
उन्हें
धारा को देना है।

- गिरिजाकुमार माथुर
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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