सोमवार, 18 दिसंबर 2023

शिशिर आ रहा है

धीरे-धीरे ठंडा हो रहा है मौसम
कमज़ोर पड़ रहीं हैं
पृथ्वी को गर्म रखने की
सूरज की कोशिशें
शिशिर आ रहा है 

अभी-अभी कटे धान के पुआल
और कोल्हूआर में पाक रहे गुड़ की 
नई महक के साथ 
शिशिर आ रहा है

सरसों-फूल के चटक रंग से
हमारी आँखों को चुँधियाते हुए 
हमारे रक्त में बर्फ़ के बुरादे भरते हुए 
शिशिर आ रहा है

हमारी उफ़नती बेचैनी को
मादक नशीली थपकियों से 
आहिस्ता-आहिस्ता सुला देने की कोशिश करते हुए 
शिशिर आ रहा है

इसके पहले 
कि उमस और छटपटाहटें
बढ़कर ढूँढ सकें कोई दिशा
हमारी गरमाहट को
नुकीली ठंडी हवाओं से बेधते हुए 
हमारे सपनों को
कुहरों की दीवारों में चुनते हुए
शिशिर आ रहा है

कल के कलेवे के लिए 
एक मुट्ठी भात की जुगाड़ के साथ 
पूरे वर्ष भर की रोटी के सवाल को
निर्मम ठंडेपन से दबाते हुए 
शिशिर आ रहा है

इससे पहले 
कि बर्फ़ और कुहरों से ढँक जाएँ दिशाएँ 
सुलगा लो अपने अलाव
शिशिर आ रहा है

- मदन कश्यप।
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बिनीता सहाय की पसंद 

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