सोमवार, 25 दिसंबर 2023

मेरी तुम

गठरी-सा बँधा बैठा है 
जाड़े का दिन 
कि बस, अब 
तुम्हारा हाथ लगे 
और खुल जाए।

- शंभु यादव।
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संपादकीय चयन 

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