जब कोई नया शब्द
कानों में पड़ता है,
अर्थ जानने को हम उत्सुक
हो जाते हैं
देखें तो शब्द वह
पुराना ही होता है,
कभी-कभी गर्द-धूल
उस पर पड़ जाती है
कभी-कभी हम उससे
बेख़बर होते हैं।
और जब हटाकर हम
गर्द वह,
सुनते-देखते उसे
एक ही क़तार में कई-कई छवियाँ
बन जाती हैं।
शब्दों की संपदा
अर्थों की संपदा—
जीवन के जीवन
गहरे और गहरे तक
हमें पहुँचाती है।
- प्रयाग शुक्ल।
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