गुरुवार, 7 दिसंबर 2023

स्मृतियों का समुद्र

धरी रह जाएँगी सारी की सारी
घृणाएँ, कटुताएँ
जलकर राख हो जाएँगी
रस्सी की तरह ऐंठी हुई
सारी की सारी
ईर्ष्याएँ, अहम्मन्यताएँ 

बचा रहेगा
सिर्फ एक
प्यार के लिए पछाड़ें खाता
उठता गिरता स्मृतियों का समुद्र 

- भगवत रावत।
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विजया सती के सौजन्य से 

4 टिप्‍पणियां:

  1. क्योंकि प्यार इन सब भावनाओं से बहुत ऊपर है. समय की गर्त में यह सारे भाव बिला जायेंगे.. पर प्रेम शाश्वत है. बहुत सुन्दर बात...!

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  2. कुछ अतृप्त इच्छाएं भी शेष रह जाएंगी

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