रविवार, 24 दिसंबर 2023

नीली धारियों वाला स्वेटर

कैसी भी रही हो ठंड 
ठिठुरा देने वाली या गुलाबी 
एक ही स्वेटर था मेरे पास 
नीली धारियों वाला 
बहिन के स्वेटर बुनने से पहले 
किसी की उतरी हुई जॉकिट 
पहनता था मैं 
जॉकिट में गर्माहट थी पर 
जॉकिट पहनकर 
ख़ुशी नहीं मिलती थी मुझे 
एक उदासी छा जाती थी 
मेरे चेहरे पर 

बहिन मेरे चेहरे पर छाई 
उदासी पढ़कर 
ख़ुद भी उदास हो जाया करती थी 
बहिन ने थोड़े-थोड़े पैसे बचाकर 
ख़रीदें सफ़ेद नीले ऊन के गोले 
एक सहेली से 
माँगकर लाई सलाइयाँ 
किसी पत्रिका के बुनाई विशेषांक से 
सीखी डिजाइन 
दो उल्टे एक सीधा 
एक उल्टा दो सीधे डाले फँदे 
कई दिनों तक 
नापती रही गर्दन 
गिनती रही फँदे 
बदलती रही सलाई 

ठिठुराती ठंड आने से पहले 
एक दिन बहिन ने 
पहना दिया मुझे नया स्वेटर 
बहिन की हथेलियों की ऊष्मा 
समा गई थी स्वेटर में 
मेरा स्वेटर देखकर 
लड़कियाँ पूछती थीं 
कलात्मक बुनाई के बारे में 
बहिन के ससुराल जाने के बाद भी 
कई वर्षों तक पहनता रहा मैं 
नीली धारियों वाला स्वेटर 
उस स्वेटर जैसी ऊष्मा 
फिर किसी स्वेटर में नहीं मिली 
उस स्वेटर की स्मृति से 
आज भी मुझे ठंड नहीं लगती

- गोविंद माथुर।
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संपादकीय चयन 

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