ओस-बूंद कहती है, लिख दूँ
नव-गुलाब पर मन की बात।
कवि कहता है, मैं भी लिख दूँ
प्रिय शब्दों में मन की बात।
ओस-बूंद लिख सकी नहीं कुछ
नव-गुलाब हो गया मलिन।
पर कवि ने लिख दिया ओस से
नव-गुलाब पर काव्य नवीन।
- केदारनाथ अग्रवाल।
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संपादकीय चयन
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