शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

दिसंबर का महीना मुझे आख़िरी नहीं लगता

दिसंबर सर्द है ज़्यादा इस बार 
पहाड़ों पर बर्फ़ गिर रही है लगातार

दिसंबर का महीना मुझे आख़िरी नहीं लगता 
आख़िरी नहीं लगतीं उसकी शामें 
नई भोर की गुज़र चुकी रात नहीं है यह 
भूमिका है उसकी
इस सर्द महीने के रूखे चेहरे पर 
यात्रा की धूल है 
फटी एड़ियों में इस यात्रा की निरंतरता 

दिसंबर के पास सारे महीने छोड़ जाते हैं
अपनी कोई न कोई चीज़ 
जुलाई बारिश 
नवंबर पतझड़ 
मार्च सुगम संगीत 

तेज़ ठंड ने फ़िलहाल धकेल दिया है सभी चीज़ों को 
पृष्ठभूमि में
“पारा शून्य को छूते-छूते रह गया है” 
समाचारों में बताया गया 

ऐसी ही एक सुबह मैं देखती हूँ 
एक तस्वीर
रात है... कुहरा छाया है
अनमना हो आया है कुहरे में बिजली का खंबा
चादर ओढ़े फ़ुटपाथ पर कोई सो रहा है
नीचे लिखा है -

जिन्हें नाज़ है हिंद पर...!

- निर्मला गर्ग।
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विजया सती की पसंद 

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