सोमवार, 4 दिसंबर 2023

एक दिन

अभी हम झींकते है
माँ ऐसी है
माँ वैसी है
पिताजी ऐसा करते हैं
पिताजी वैसा करते हैं

फिर हमीं एक दिन
उसाँस भरेंगे
माँ ऐसी थी
माँ वैसी थी
पिताजी ऐसा करते थे
पिताजी वैसा करते थे 

- विनोद पदरज।
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विजया सती के सौजन्य से 

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