शुक्रवार, 8 दिसंबर 2023
यादों में पहाड़ का वज़न
यादों में पहाड़ का वज़न
फूल से ज्यादा नहीं होता
ना ही फूलों से कम खूबसूरत लगते हैं पहाड़
यादों में संभव होता है
कि हम चूम सकें पहाड़ों को
जैसे उन्हें चूमता है आकाश
- कुमार मुकुल।
----------------
विजया सती के सौजन्य से
1 टिप्पणी:
Pandey Sarita
8 दिसंबर 2023 को 8:46 am बजे
अति सुन्दर
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बात सीधी थी पर
बात सीधी थी पर एक बार भाषा के चक्कर में ज़रा टेढ़ी फँस गई। उसे पाने की कोशिश में भाषा को उलटा पलटा तोड़ा मरोड़ा घुमाया फिराया कि बात या तो ब...
खजुराहो में मूर्तियों के पयोधर
पत्थरों में कचनार के फूल खिले हैं इनकी तरफ़ देखते ही आँखों में रंग छा जाते हैं मानो ये चंचल नैन इन्हें जनमों से जानते थे। मानो हृदय ही फूला...
ट्राम में एक याद
चेतना पारीक कैसी हो? पहले जैसी हो? कुछ-कुछ ख़ुश कुछ-कुछ उदास कभी देखती तारे कभी देखती घास चेतना पारीक, कैसी दिखती हो? अब भी कविता लिखती हो? ...
अति सुन्दर
जवाब देंहटाएं