शब्द
शब्द अगर आना तो –
कोई
शुभ्र अर्थ लाना,
तुमको
रच, अपने गीतों का
कोष
सँवारूँगा।
अर्थ
कि वह ताजा – टटका
जो
मन पीड़ा हरदे
हृदय-
कुंड खारे पानी को
जो
मीठा कर दे
मित्र
सार्थक बनकर
मन
के पन्नों छा जाना,
मिले
भाव- नवनीत, सृजन की-
रई
बिलोड़ूँगा।
दीन-
दुखी कर दर्दों का-
मरहम
लाना भाई
‘घीसू’ हरषे और असीसे
‘जुमम्न’ की माई
मुल्ला-
पंडित गले मिलें
वह
युक्ति साथ लाना,
आपस
में जो पड़ी बैर-
की, गाँठें खोलूँगा।
वंचित
को हो चना – चबैना
भूखा
पेट भरे
सन्नाटों
को चीर – चिरइया
होकर
मुक्त उड़े
बच्चों
की बेलौस हँसी
अक्षर
– अक्षर दमके,
अपनी
कलम उतार, धुंध के
बादल
छाटूँगा।
- श्यामलाल
‘शामी’
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हरप्रीत
सिंह पुरी के सौजन्य से